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Thursday, June 28, 2018

साइबर क्राइम के प्रकार (Types of Cyber Crime)

भारत इंटरनेट इस्‍तेमाल करने वाला दुनियॉ का तीसरा देश है। आप अपने कंप्‍यूटर, मोबाइल आदि से कहीं न कहीं इंटरनेट से जुडें हैं इसलिये साइबर क्राइम, साइबर अपराध, साइबर-आतंकवाद जैसे शब्‍दों के बारे में अापका जानना बहुत जरूरी है।


साइबर क्राइम कई प्रकार का होता है - 

निजी जानकारी चुराना - 

इसे साधारण भाषा में या हैकिंग करते हैं, इससे साइबर अपराधी आपके कंप्‍यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर आपकी निजी जानकारी जैसे - आपका नेटबैंकिग पासवर्ड, आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि काे चुरा लेते हैं और इसका दुरूपयोग करते हैं, इसी का दूसरा रूप होता है फिंशिग, जिसमें आपको फर्जी ईमेल अादि भेजकर ठगा जाता सकता है, इसके बारे में जानने के लिये क्लिक करें -  क्‍या होती है फिंगिश और इससे कैसे बचें 

मैलवेयर सुरक्षा और बचाव

वायरस फैलाना 

साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्‍यूटर का काफी हानि पहुॅचा सकते हैं। 

बचायें अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को हैकिंग से

सॉफ्टवेयर पाइरेसी

सॉफ्टवेयर की नकली तैयार कर सस्‍ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्‍तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं। 

फर्जी बैंक कॉल- 

आपको जाली ईमेल, मैसेज या फोनकॉल प्राप्‍त हो जो आपकी बैंक जैसा लगे जिसमें आपसे पूछा जाये कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गयी तो आपको खाता बन्‍द कर दिया जायेगा या इस लिंक पर कर सूचना दें। याद रखें किसी भी बैंक द्वारा ऐसी जानकारी कभी भी इस तरह से नहीं मॉगी जाती है और भूलकर भी अपनी किसी भी इस प्रकार की जानकारी को इन्‍टरनेट या फोनकॉल या मैसेज के माध्‍यम से नहीं बताये। 

सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना 

बहुत से लोग सोशल नेटवर्किग साइटों पर सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादें समझ नहीं पाते हैं और जाने-अनजाने में ऐसे लिंक्‍स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर-आतंकवाद की श्रेणी में आता है। 

साइबर बुलिंग

फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करना, इंटरनेट पर धमकियॉ देना किसी का इस स्‍तर तक मजाक बनाना कि तंग हो जाये, इंटरनेट पर दूसरों के सामने शर्मिंदा करना, इसे साइबर बुलिंग कहते हैं। अक्‍सर बच्‍चे इसका शिकार हाेते हैं।

साइबर स्टाकिंग

साइबर क्राइम का ही एक चेहरा है साइबर स्टॉकिंग, जिसमें कोई व्यक्ति या व्यक्तियों का समूह किसी दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का इंटरनेट के जरिए पीछा करता है और उसे हर तरह से नुकसान पहुंचाने और प्रताडि़त करने की कोशिश करता है। 
इसमें इंटरनेट के जरिए किसी की गतिविधियों पर नजर रखना, उस पर झूठे इल्जाम लगाना, उसे धमकी देना, उसकी पहचान चुरा लेना, उसके डेटा या उपकरण के साथ छेड़छाड़ करना और उन्हें नुकसान पहुंचाना, एब्यूजिंग, सेक्सुअल हरासमेंट, अग्रेशन आदि शामिल है। इन हथकंडों का इस्तेमाल करते हुए इंटरनेट के जरिए किसी को नुकसान पहुंचाना ही 'साइबर स्टॉकिंग' कहलाता है। ऐसे अपराधों के लिए इंटरनेट के साथ-साथ मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी 'स्टॉकिंग' ही कहलाता है।

चाइल्ड पॉर्नोग्रफी देखना 

- अगर आप जाने या अनजाने अपने इंटरनेट कनेक्शन के जरिये चाइल्ड पॉर्नोग्रफी (बच्चों के अश्लील चित्र, विडियो, लेख आदि) देखते हैं तो वह साइबर क्राइम है। 
- आपने ऐसी किसी सामग्री को अपने किसी दोस्त को फॉरवर्ड कर दिया तो आप एक और साइबर क्राइम कर चुके हैं। 
- 18 साल से कम उम्र वालों से संबंधित अश्लील सामग्री देखना, इंटरनेट से भेजना और सहेजना साइबर क्राइम है। 
- इन्हें न खुद देखें, न किसी को फॉरवर्ड करें। 

लोगो की चोरी 
- इंटरनेट पर लोगो, आइकंस, प्रतीक चिह्नों, ट्रेडमार्क वगैरह की चोरी भी आम है। 
- नया काम खोलना है या नई वेबसाइट बनानी है लोगो के लिए इंटरनेट सर्च से बेहतर जरिया क्या होगा? 
- अच्छा सा लोगो दिखाई दिया और आपने उसे कॉपी कर इस्तेमाल कर लिया या किसी डिजाइनर की सेवा ली जिसने झटपट इंटरनेट से किसी कंपनी का अच्छा सा लोगो इस्तेमाल कर आपका विजिटिंग कार्ड, ब्रोशर और लेटरहेड तैयार कर दिया। ऐसा करके आपने न सिर्फ कॉपीराइट का उल्लंघन कर चुके हैं बल्कि ऑनलाइन ट्रेडमार्क के उल्लंघन मामले में भी आपको दोषी करार दिया जा सकता है। 
- ऐसे किसी भी लोगो या आइकन का प्रयोग अपने बिजनेस आदि के लिए न करें। 

वाई-फाई का दुरुपयोग 
- जुलाई 2008 में अहमदाबाद बम विस्फोटों के बाद उनकी जिम्मेदारी लेते हुए आतंकवादियों ने जो ईमेल भेजा था, वह आपके-हमारे जैसे ही किसी आम इंटरनेट यूजर के वाई-फाई कनेक्शन का इस्तेमाल करके भेजा था। जांच एजेंसियों ने पता लगाया कि यह ईमेल नवी मुंबई के एक ?लैट में लगे वायरलेस इंटरनेट कनेक्शन के जरिये आया था। जाहिर है, उन्होंने यही निष्कर्ष निकाला कि जिस घर से मेल भेजा गया, वह किसी न किसी रूप में हमलावरों से जुड़ा हुआ होगा, लेकिन इस फ्लैट में रहता था मल्टिनैशनल कंपनी में काम करने वाला अमेरिकी नागरिक केनेथ हैवुड। अब उसे समझ आया कि इंटरनेट कनेक्शन लगाने वाले इंजिनियर ने क्यों कहा था कि उसे अपने वाई-फाई नेटवर्क का पासवर्ड जल्दी ही बदल लेना चाहिए। दरअसल, हैवुड के वाई-फाई कनेक्शन में कोई सिक्युरिटी सेटिंग नहीं की गई थी और आस-पास से गुजरता कोई भी शख्स हैवुड के कनेक्शन का इस्तेमाल कर सकता था। आतंकवादियों ने यही किया और हैवुड एक आतंकवादी मामले में गिरफ्तार होते-होते बचा। 
- अगर कोई अपराधी आपके इंटरनेट कनेक्शन का इस्तेमाल करते हुए साइबर क्राइम करता है तो पुलिस उसे भले ही न ढूंढ पाए, आप तक जरूर पहुंच जाएगी और नतीजे भुगतने होंगे आपको। 
- अगर वाई-फाई इंटरनेट कनेक्शन इस्तेमाल करते हैं तो उसे पासवर्ड प्रोटेक्ट करना और एनक्रिप्शन का इस्तेमाल करना न भूलें। 

वायरस, स्पाईवेयर 
- अगर आपके कंप्यूटर पर किसी वायरस या स्पाईवेयर ने कब्जा जमा लिया है और वह जोम्बी में तब्दील हो गया है तो समझिए, आप अपने कंप्यूटर और डेटा की असुरक्षा के साथ-साथ साइबर क्राइम में भी फंस सकते हैं। मुमकिन है, आप किसी परोक्ष साइबर क्राइम में हिस्सेदार बन रहे हों। 
- कुछ वायरस और स्पाईवेयर न सिर्फ आपके कंप्यूटर के डेटा और निजी सूचनाएं चुराकर अपने संचालकों तक भेजते हैं बल्कि आपके संपर्क में मौजूद दूसरे लोगों तक अपनी प्रतियां पहुंचा देते हैं। कभी इंटरनेट के जरिये, कभी ईमेल के जरिये तो कभी लोकल नेटवर्क के जरिये। जिन लोगों के कंप्यूटर में आपके जरिये वायरस या स्पाईवेयर पहुंचा और कोई बड़ा नुकसान हो गया, उनकी नजर में दोषी कौन होगा? आप। ऐसे मामलों में आप अपनी कानूनी और नैतिक जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। 
- कंप्यूटर में अच्छा एंटिवायरस, एंटिस्पाईवेयर और फायरवॉल जरूर लगवाएं। ये सिर्फ आपकी साइबर सुरक्षा के लिहाज से ही जरूरी नहीं है बल्कि इसलिए भी है कि कहीं आप अनजाने में कोई साइबर अपराध न कर बैठें। 

किसी का अकाउंट खोलना 
- कुछ लोग अपने दोस्तों और साथियों के ईमेल अकाउंट, फेसबुक वगैरह का पासवर्ड ढूंढने की कोशिश करते हैं और कभी-कभी सफल भी हो जाते हैं। हो सकता है, आप महज मौज-मस्ती या मजाक के लिए ऐसा कर रहे हों लेकिन अगर आप किसी का पासवर्ड हासिल करने के बाद उसके खाते में लॉग-इन करते हैं तो आप साइबर क्राइम कर रहे हैं। 
- ऐसा तब भी होता है, जब किसी ने आप पर भरोसा करके आपको अपना पासवर्ड बताया हो। यह खाता ईमेल, सोशल नेटवर्किंग, ब्लॉग, वेबसाइट, ऑनलाइन स्टोरेज सविर्स, ई-कॉमर्स साइट, इंटरनेट-बैंकिंग जैसा हो सकता है। 
- किसी की प्राइवेसी में सेंध लगाने पर आप डेटा प्रोटेक्शन कानून के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 72 के तहत दोषी करार दिए जा सकते हैं। 
- किसी का पासवर्ड चुराकर उसका अकाउंट खोलने की कोशिश न करें। साथ ही अगर कोई साथी कहे कि मेरा ईमेल खोलकर देख लेना, यह मेरा पासवर्ड यह है, तो उससे माफी मांग लेने में ही भलाई है। 

सॉफ्टवेयर पायरेसी - भारत के ज्यादातर कंप्यूटर यूजर किसी न किसी सॉफ्टवेयर का पाइरेटेड वर्जन इस्तेमाल कर रहे हैं। चाहे विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम हो, ऑफिस सॉफ्टवेयर सूइट हों या फिर ग्राफिक्स, पेजमेकिंग के सॉफ्टवेयर। 
- अब सॉफ्टवेयरों के भीतर एडवांस किस्म के पाइरेसी प्रोटेक्शन और मॉनिटरिंग सिस्टम आने लगे हैं और हो सकता है आपके बारे में भी कंपनियों को जानकारी हो। 
- ऐसे सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल करना साइबर क्राइम के तहत आता है। हमेशा ऑरिजनल सॉफ्टवेयर ही यूज करें। 

गूगल क्लिक फ्रॉड 
- इंटरनेट पर विज्ञापनों के बदले भुगतान की व्यवस्था थोड़ी अलग है। यह विज्ञापनों को क्लिक किए जाने की संख्या पर आधारित है। जैसे दस क्लिक यानी दो डॉलर या करीब 110 रुपये। 
- ऐसे में कुछ लोग खुद ही अपने ब्लॉगों पर लगे विज्ञापनों को क्लिक करते रहते हैं या फिर कुछ दूसरे लोगों के साथ गठजोड़ कर लेते हैं। उन्हें पता नहीं कि इंटरनेट पर ऐसे फर्जी क्लिक की निगरानी रखी जा सकती है। 
- इस तरह के क्लिक से बचें। यह बड़ा आर्थिक अपराध है और पता लगने पर आपके विज्ञापन तो बंद हो ही सकते हैं, भारी-भरकम जुर्माना या दूसरी सजा भी मिल सकती है।  

कुछ और साइबर क्राइम 
- साइबर स्क्वैटिंग : किसी मशहूर ब्रैंड, कंपनी, संगठन, इंसान आदि के नाम से जुड़ा डोमेन नेम अनधिकृत रूप से अपने नाम से बुक करवा लेना। 
- ऑनलाइन मानहानि : अपने ब्लॉग, वेबसाइट, सोशल नेटवकिर्ंग ठिकाने या दूसरे इंटरनेट ठिकाने पर किसी के बारे में अपमानजनक या अश्लील टिप्पणी करना। 
- कारोबारी डेटा : किसी ग्राहक द्वारा मुहैया कराए जाने वाले गोपनीय कारोबारी डेटा की कॉपी बनाकर अपने पास रखना। 
- वेबसाइट, डोमेन नेम पर कब्जा : भारत में कई वेब डिवेलपमेंट कंपनियां ऐसा करने की दोषी पाई गई हैं। अपने ग्राहकों के लिए डोमेन नेम बुक कराते, वेब होस्टिंग स्पेस लेते और इंटरनेट सेवा मुहैया कराते समय वे उनका सबसे खास यूजरनेम और पासवर्ड अपने कब्जे में रख लेते हैं और फिर उसी के दम पर ग्राहकों को तंग करते हैं। 
- डिजाइन की चोरी : किसी वेबसाइट, ब्लॉग, ई-बुक आदि की बिना मंजूरी हू-ब-हू नकल कर लेना। किसी की टेंप्लेट को अनधिकृत रूप से इस्तेमाल कर लेना। 

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